डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन परिचय: भारत के प्रथम राष्ट्रपति की संपूर्ण जीवनी



डॉ. राजेंद्र प्रसाद: भारत के प्रथम राष्ट्रपति

डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। उन्होंने 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 तक राष्ट्रपति पद संभाला। वे भारत के ऐसे एकमात्र राष्ट्रपति रहे जिन्होंने दो पूर्ण कार्यकाल पूरे किए। उनका जीवन सादगी, सत्यनिष्ठा और राष्ट्रसेवा का आदर्श उदाहरण है।

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की प्रारंभिक जीवन

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को जीरादेई, सिवान (बिहार) में हुआ था। उनके पिता महादेव सहाय संस्कृत और फारसी के विद्वान थे। बचपन से ही राजेंद्र प्रसाद में अनुशासन और अध्ययन की गहरी रुचि थी।

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की शिक्षा

उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वे अत्यंत मेधावी छात्र थे और कानून की पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने वकालत शुरू की, लेकिन जल्द ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए।

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की स्वतंत्रता संग्राम में योगदान क्या था

डॉ. राजेंद्र प्रसाद महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे।

उन्होंने-

  • 1917 के चंपारण सत्याग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
  • असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया
  • कई बार जेल गए और त्यागपूर्ण जीवन जिया

वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे।

डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की संविधान सभा और संविधान निर्माण में क्या योगदान रहा है?

डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में भारत का संविधान तैयार हुआ। उन्होंने लोकतंत्र, समानता, धार्मिक स्वतंत्रता और न्याय जैसे मूल्यों को मजबूत आधार दिया।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद

26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य बना और डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने

  • संविधान की मर्यादा को बनाए रखा
  • राष्ट्रपति पद को निष्पक्ष और सम्मानजनक बनाया
  • राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बनकर कार्य किया
1962 के भारत-चीन युद्ध के समय उन्होंने देश को नैतिक नेतृत्व प्रदान किया।

Dr Rajendra Prasad  साहित्यिक योगदान

डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक महान लेखक और विद्वान थे। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं—

आत्मकथा
इंडिया डिवाइडेड
चंपारण में सत्याग्रह
चंपारण में सत्याग्रह

डॉ राजेंद्र प्रसाद को क्या सम्मान मिला था?

उन्हें 1962 में भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया गया

डॉ राजेंद्र प्रसादज का निधन

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का निधन 28 फरवरी 1963 को पटना में 78 वर्ष की आयु में हुआ।

विरासत

उनके नाम पर कई संस्थान स्थापित हैं, जिनमें प्रमुख हैं—


  • राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (बिहार)
  • राजेंद्र स्मृति संग्रहालय, पटना

निष्कर्ष

डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के लोकतंत्र की आत्मा थे। उनका जीवन ईमानदारी, त्याग और सेवा की प्रेरणा देता है। वे न केवल भारत के पहले राष्ट्रपति थे, बल्कि भारतीय मूल्यों के सच्चे रक्षक भी थे।

PBLICERED BY- MUKESH KUMAR 

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