बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री का कार्यकाल एवं इनके द्वारा लगाए गए उद्योग

बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह: कार्यकाल, उद्योग और ऐतिहासिक योगदान

बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह (श्री बाबू): कार्यकाल, योगदान और उपलब्धियाँ

डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, जिन्हें सम्मानपूर्वक “श्री बाबू” कहा जाता है, बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री थे। वे आधुनिक बिहार के निर्माता माने जाते हैं। उनके नेतृत्व में बिहार ने राजनीतिक स्थिरता, औद्योगिक विकास, शिक्षा और सामाजिक सुधार की दिशा में ऐतिहासिक प्रगति की।

श्रीकृष्ण सिंह का संक्षिप्त परिचय

  • पूरा नाम: डॉ. श्रीकृष्ण सिंह
  • जन्म: 21 अक्टूबर 1887, मऊ गाँव, मुंगेर (वर्तमान बिहार)
  • निधन: 31 जनवरी 1961
  • पद: बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री
  • कार्यकाल: 1946 से 1961
  • राजनीतिक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका

डॉ. श्रीकृष्ण सिंह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सक्रिय सेनानी थे। वे महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित थे और कई बार जेल भी गए। उन्होंने चंपारण सत्याग्रह सहित कई आंदोलनों में भाग लिया और बिहार में राष्ट्रीय चेतना को मजबूत किया।

मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल (1946–1961)

भारत की स्वतंत्रता से पहले और बाद में, श्री बाबू ने कुल 15 वर्षों तक बिहार का नेतृत्व किया। यह कार्यकाल बिहार के इतिहास में सबसे स्थिर और विकासोन्मुख माना जाता है।

औद्योगिक विकास में योगदान

श्रीकृष्ण सिंह ने बिहार को औद्योगिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए। उनके कार्यकाल में स्थापित प्रमुख उद्योग और परियोजनाएँ:

  • सिंदरी उर्वरक कारखाना (धनबाद क्षेत्र)
  • बरौनी तेल शोधन कारखाना (रिफाइनरी)
  • बरौनी ताप विद्युत परियोजना
  • हिंदुस्तान स्टील प्लांट, बोकारो (योजना की नींव)
  • कागज एवं सीमेंट उद्योगों का विस्तार

इन परियोजनाओं से बिहार में रोजगार के अवसर बढ़े और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली।

कृषि और भूमि सुधार

श्री बाबू का मानना था कि बिना कृषि सुधार के विकास संभव नहीं है। इसलिए उन्होंने:

  • जमींदारी प्रथा का उन्मूलन (1950) किया
  • भूमिहीन किसानों को जमीन दिलाने का प्रयास किया
  • सिंचाई और कृषि उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया

यह कदम सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय माना जाता है।

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान

उनके शासनकाल में कई महत्वपूर्ण शैक्षणिक और चिकित्सीय संस्थानों की स्थापना हुई: 

  • पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (PMCH)
  • बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब NIT पटना)
  • बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय
  • राज्य में स्कूल और कॉलेजों का विस्तार

सामाजिक सुधार और सुशासन

डॉ. श्रीकृष्ण सिंह जातिवाद और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ थे। उन्होंने:

  • कानून व्यवस्था को मजबूत किया
  • दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा की
  • प्रशासन को भ्रष्टाचार-मुक्त रखने का प्रयास किया

उनका शासन ईमानदारी और सादगी के लिए जाना जाता था।

निष्कर्ष

डॉ. श्रीकृष्ण सिंह केवल बिहार के पहले मुख्यमंत्री ही नहीं, बल्कि आधुनिक बिहार के शिल्पकार थे। औद्योगिक विकास, भूमि सुधार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है।

PBLICERED BY- MUKESH KUMAR 

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